इस राज्य में फंसे 10 हजार प्रवासी मजदूरों को लगा बड़ा झटका, राज्य सरकार ने ट्रेनें की रद्द

लॉकडाउन के कारण दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए सरकार ने स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं। जिसका 85 प्रतिशत किराया केंद्र सरकार देगी बाकी 15 प्रतिशत किराया राज्य की सरकारें देंगी। लेकिन इसी बीच कर्नाटक में रह रहे प्रवासी मजदूरों को बड़ा झटका लगा है, जो वापस अपने गृह राज्य जाना चाहते थे। कर्नाटक सरकार ने घोषणा की है कि प्रवासी श्रमिकों को ले जाने के लिए अब ट्रेनें नहीं चलाई जाएंगी। हालांकि, इसका खास कारण स्पष्ट नहीं किया गया है लेकिन एक रिपोर्ट के अनुसार मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने बिल्डरों और रियल एस्टेट फर्मों से मुलाकात के बाद यह कदम उठाया है। इन लोगों ने मजदूरों के सामूहिक पलायन पर चिंता व्यक्त की थी।
जानकारी के मुताबिक, येदियुरप्पा ने कहा है कि “अन्य राज्यों की तुलना में कर्नाटक में कोरोना वायरस की स्थिति नियंत्रण में है। रेड जोन को छोड़कर व्यवसाय, निर्माण कार्य और औद्योगिक गतिविधियों को फिर से शुरू किया जा रहा है। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि प्रवासी श्रमिकों को अनावशयक वापस जाने से रोका जा सके।” ”हमने 3500 बसों और ट्रेनों से लगभग 1 लाख लोगों को उनके घर वापस भेज दिया है। मैंने प्रवासी श्रमिकों से यहां रहने की अपील भी की है क्योंकि निर्माण कार्य अब फिर से शुरू हो गया है”। मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने आगे कहा कि कोरोना वायरस वित्तीय पैकेज के रूप में 1,610 करोड़ रुपये जारी किए जाएंगे। 2,30,000 नाइयों और 7,75,000 ड्राइवरों को 5,000 रुपये का मुआवजा दिया जाएगा।
कर्नाटक इंटर स्टेट ट्रैवल के नोडल अधिकारी एन मंजूनाथ प्रसाद ने दक्षिण पश्चिम रेलवे को पत्र लिखकर बुधवार से निर्धारित सभी ट्रेनों को रद्द करने के लिए कहा है। इस दौरान लगभग 10,000 मजदूर जो बिहार जाना चाहते थे, वे बैंगलोर इंटरनेशनल एग्जीबिशन सेंटर में थे। बिल्डरों के साथ मुख्यमंत्री की बैठक के बाद बिहार के लिए निर्धारित तीन ट्रेनें रद्द कर दी गई। मंजूनाथ प्रसाद ने कहा “ये वे लोग हैं जो बैंगलोर में काम करने आए हैं। एक बार जब काम शुरू होगा, तो सामान्य स्थिति हो जाएगी। फिर वापस जाने की जरूरत नहीं है। जो लोग अभी भी वापस जाना चाहते हैं वे अपने वाहन का उपयोग करके जा सकते हैं।