छत्तीसगढ़: जानिए….एक कलेक्टर से कैसे राजनेता बने अजीत जोगी?

देश में कोरोना काल है। इसी बीच छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी का आज निधन हो गया। अजीत लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनके बेटे अमित जोगी ने ट्वीट कर इसकी सूचना दी। बता दें कि अजीत जोगी का पूरा नाम है अजीत प्रमोद कुमार जोगी था। अजीत जोगी के बारे में ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने अपने करियर की शुरुआत बतौर कलेक्टर की थी। जोगी जिस दौरान इंदौर में कलेक्टरी कर रहे थे उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के संपर्क में आ गए। 1986 के आसपास उन्होंने कांग्रेस ज्वाइन कर ली और सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया।
२० वर्षीय युवा छत्तीसगढ़ राज्य के सिर से आज उसके पिता का साया उठ गया।केवल मैंने ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ ने नेता नहीं,अपना पिता खोया है।माननीय अजीत जोगी जी ढाई करोड़ लोगों के अपने परिवार को छोड़ कर,ईश्वर के पास चले गए।गांव-गरीब का सहारा,छत्तीसगढ़ का दुलारा,हमसे बहुत दूर चला गया। pic.twitter.com/RPPqYuZ0YS
— Amit Jogi (@amitjogi) May 29, 2020
कौन थे अजीत जोगी?
जोगी ने मौलाना आजाद कॉलेड ऑफ टेक्नॉलोजी, भोपाल से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और 1968 में यूनिवर्सिटी के गोल मेडल विजेता रहे। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलोजी, रायपुर में लेक्चरार के तौर पर काम करने के बाद उनका चयन आईपीएस और फिर आईएस के लिए हुआ। बिलासपुर के पेंड्रा में जन्में अजीत जोगी ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद पहले भारतीय पुलिस सेवा और फिर भारतीय प्रशासनिक की नौकरी की। बाद में वे मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सुझाव पर राजनीति में आये। अजीत जोगी साल 1986 से 1998 तक राज्यसभा के सदस्य रहे।
वेदना की इस घड़ी में मैं निशब्द हूँ।परम पिता परमेश्वर माननीय @ajitjogi_cg जी की आत्मा को शांति और हम सबको शक्ति दे।
— Amit Jogi (@amitjogi) May 29, 2020
उनका अंतिम संस्कार उनकी जन्मभूमि गौरेला में कल होगा। pic.twitter.com/TEtAqsEFl4
इस दौरान वह कांग्रेस में अलग-अलग पद पर कार्य करते रहे, वहीं 1998 में रायगढ़ से लोकसभा सांसद चुने गए। वे विधायक और सांसद भी रहे। उसके बाद वह वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के दौरान यहां के पहले मुख्यमंत्री बने और वर्ष 2003 तक मुख्यमंत्री रहे। राज्य में वर्ष 2003 में हुए विधानसभा के पहले चुनाव में कांग्रेस, बीजेपी से पराजित हो गई थी। हालांकि, उसके बाद जोगी की तबीयत खराब होती रही और वह राजनीति से दूर होते गए। लगातार वह पार्टी में बगावती तेवर अपनाते रहे और अंत में उन्होंने अपनी अलग राह चुन ली। राज्य में कांग्रेस नेताओं से मतभेद के चलते जोगी ने साल 2016 में नई पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) का गठन कर लिया था और वह उसके प्रमुख थे। अजीत जोगी ने 2016 में कांग्रेस से बगावत कर अपनी अलग पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के नाम से गठन किया था जबकि एक दौर में वो राज्य में कांग्रेस का चेहरा हुआ करते थे।
जून 2007 में जोगी और उनके बेटे को एनसीपी के कोषाध्यक्ष रामअवतर जग्गी की हत्या के केस में गिरफ्तार किया गया। जग्गी को जून 2003 में मौके पर हत्या कर दी गई थी। हालांकि, केस दर्ज होने के पांच साल बाद केन्द्रीय जांच एजेसी सीबीआई ने तत्कालीन अटॉर्नी सोलिसीटर जनरल गोपाल सुब्रमण्यम की राय पर कहा कि जोगी को किसी भी कानून के तहत सजा नहीं दी जा सकती है। हालांकि, बीजेपी ने उस वक्त कांग्रेस की नेतृत्ववाली यूपीए सरकार पर सीबीआई का गलत इस्तेमाल कर जोगी को बचाने का आरोप लगाया था। 6 जून 2016 को जोगी ने अपनी पत्नी और बेटे की मौजूदगी में कांग्रेस से अपना नाता तोड़ने का ऐलान किया।