पुलवामा आतंकी हमला: बेटे की बसरी पर फफक-फफक कर रो पड़ी बूढ़ी माँ, कहा- आज भी…

पिछले साल 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में सीआरपीएफ के जवानों से भरी बस पर हमला हो गया था। जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे। जिनमें यूपी के मैनपुरी के सीआरपीएफ जवान रामवकील शहीद हो गए थे। उनकी शहादत को पूरा एक साल हो चुका है। शहीद को याद कर परिवार और गांव के लोगों का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। तो आंखों की नमी उनके बिछड़ने का अहसास भी कराती हैं।
शहीद की मांग अमितश्री अपने बेटे को याद करके रो पड़ती हैं। आखिर उन्होंने कलेजे का टुकड़ा जो खोया है। पत्नी गीता देवी का हाल भी कुछ ऐसा ही है। बरसी पर शहीद पति को याद करते हुए वीर नारी फफक-फफक कर रो पड़ीं। गीता देवी इटावा में रहकर बच्चों की परवरिश कर रही हैं।
शहीद रामवकील की बरसी पर गांव विनायकपुर में शहीद मेले का आयोजन किया जाएगा। ग्रामीणों ने बताया कि पुलवामा हमले की बरसी पर एक दिवसीय मेले का आयोजन होगा। इसमें गांव व क्षेत्र के लोग प्रतिभाग करेंगे। साल दर साल इसका आयोजन किया जाएगा।
रामवकील की शहादत के एक साल बाद भी स्मारक का निर्माण तक नहीं हो सका। सरकार द्वारा इसके लिए पांच बीघा का पट्टा तो आवंटित किया जा चुका है, लेकिन इसके लिए अब तक रास्ता नहीं मिल पा रहा है। अधिकारियों से लेकर नेताओं तक इस मामले की जानकारी दी गई, लेकिन निराकरण नहीं हो सका।
शहीद की मां अमितश्री ने बताया कि बेटे को खोने का गम है, तो गर्व इस बात का है कि मेरे बेटे ने भारत मां की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर किए हैं। वह हमारे दिल में हमेशा जीवित रहेगा। पत्नी गीता देवी ने कहा कि मेरे पति ने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। सरकार से मेरा अनुरोध है कि शहीद स्मारक के लिए रास्ता दिलाया जाए।