पूर्व नेवी ऑफिसर पर हुए हमले की रिटायर्ड सैनिकों ने की कड़ी निंदा, CM उद्धव के खिलाफ खोला मोर्चा

मुंबई में पूर्व नेवी अधिकारी मदन शर्मा के साथ मारपीट मामले को लेकर अब भारतीय सशस्त्र सेना के पूर्व अधिकारियों ने भी उद्धव सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पूर्व सैनिकों ने घटना की कड़ी निंदा करते हुए एक बयान जारी किया है। उन्होंने कहा कि हमलोग भारत के प्राउड सिटिजंस हैं। इतिहास गवाह है कि जब-जब मुसीबत की घड़ी आई, हम लोगों ने बहादुरी के साथ उसका मुकाबला किया और अपने राष्ट्र की रक्षा की। हम लोगों के लिए इस तरह की घटना अविश्वसनीय रूप से चौंकाने वाली और कभी स्वीकार नहीं किए जाने वाली है। एक पूर्व नेवी अधिकारी मदन शर्मा, गुंडों के खिलाफ असहाय नजर आ रहे हैं। उन्हें शिवसेना कार्यकर्ताओं द्वारा बुरी तरह पीटा गया। जिस वजह से पूर्व अधिकारी को गहरी चोटें आईं, आघात पहुंचा और उनके सम्मान को धक्का लगा।
उन्होंने कहा कि यही समय है जब पूरा देश अपनी राष्ट्रवादी भावनाओं को जगाए और भारतीय सशस्त्र सेना के पूर्व अधिकारियों की सेवा को याद करते हुए उनका सम्मान करे। हमने अपना जवानी कुर्बान कर दिया, ताकि हमारे लोग अपने घरों में सुरक्षित रहें। इसलिए इन पूर्व सैनिकों की गरिमा, सम्मान और सुरक्षा की रक्षा करना सभी भारतीयों की प्राथमिकता होनी चाहिए। हम लोगों ने त्याग और शौर्य का परिचय देते हुए अपने देश को गौरवान्वित किया है। इसलिए हम लोग इस तरह मार-पीट झेलने के हकदार नहीं हैं। जैसा मदन शर्मा के केस में हुआ है।
बजाए कि इस तरह के गुंडागर्दी के खिलाफ सख्ती दिखाई जाए, पूर्व नेवी अधिकारी मदन शर्मा के साथ मारपीट करने वाले सभी अपराधियों और स्थानीय शिवसेना प्रमुख को मिनट भर में बेल मिल गया, जिससे चोट के साथ-साथ सम्मान को भी ठेंस पहुंचा है। यह अविश्वसनीय है कि मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार ने इस पूरे मामले को हल्के में लेते हुए अब तक न्याय दिलाने के लिए कुछ भी नहीं किया है। इसलिए भारतीय सशस्त्र बल के सभी पूर्व अधिकारी इस घटना की कठोर शब्दों में निंदा करते हैं।
शिवसैनिकों के हमले में घायल रिटायर्ड नेवी ऑफिसर मदन शर्मा को शनिवार को अस्पताल से छुट्टी मिल गई थी। जिसके बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि अगर सरकार कानून व्यवस्था नहीं संभाल सकती है तो उद्धव ठाकरे को इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने कहा कि मेरे साथ बहुत बुरा हुआ। मैं एक सीनियर सिटिजन हूं। शिवसैनिक मुझे बात करने के लिए बुलाए थे, लेकिन बिना बातचीत किए, मारना शुरू कर दिया। मारपीट करने के बाद गिरफ्तारी के लिए मेरे घर पुलिस भेज दी गई। पुलिस पर राजनीतिक दबाव है।