बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जुबानी जंग तेज, ‘अब घर-घर बिजली, लालटेन की जरूरत नहीं’

बिहार में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं। वैसे-वैसे सियासी जुबानी जंग भी खूब देखने को मिल रही है। बिहार में सत्तारूढ़ जेडीयू जहां पहली बार अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार के माध्यम से वर्चुअल रैली के साथ चुनावी प्रचार का आगाज किया। रैली को लेकर के आज दानापुर और फुलवारीशरीफ में बड़े पैमाने पर लोग जुटे। नीतीश कुमार ने अपनी सरकार की उपलब्धि गिनवाते हुए कहा कि हमारे कार्यकाल में बिहार में 3 मेडिकल कॉलेज बनाये गए, 8 नए बन रहे हैं। केंद्र और राज्य सरकार की मदद से ये मेडिकल कॉलेज बन रहे हैं। कृषि के क्षेत्र में हमारी सरकार ने काम किया है। कृषि का सबसे ज्यादा विकास करना हमारा कर्तव्य है। हम कृषि रोड मैप के जरिये काम कर रहे हैं। हमारे कार्यकाल में हर फसल की उत्पादकता बढ़ी है, अब कृषि के बारे क्या बात करेंगे वो?
वहीं, मुख्यमंत्री ने नीतीश कुमार ने लालू-राबड़ी के 15 साल के कामकाज को लेकर कहा कि पहले माओवाद का क्या हाल था? पहले जैसा अपराध होता था आज वैसा है क्या? आज अपराध करने वाले गिरफ़्तार किए जा रहे हैं। कानून व्यवस्था का हालात आज पहले से काफ़ी बेहतर है केंद्र सरकार जो अपराध का आंकड़ा जारी करता है बिहार में उसके मुताबिक़ राष्ट्रीय औसत से कम है। आज बिहार अपराध के मामले में 23वें स्थान पर है। देश में महिलाओं के अपराध के मामले में बिहार का स्थान 29वां है। कोई बात तथ्यों के आधार पर बोलना चाहिए पहले अपराध भूमि को लेकर किया जाता था अब हम सर्वे करा रहे है। आज घर-घर बिजली पहुंच गई है। अब लोगों को लालटेन की कोई जरूरत नहीं है। नई पीढ़ी को बताइए, पुरानी चीजों को नहीं जानेगा तो गड़बड़ लोगों के चक्कर में फंस जाएगा।
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— Nitish Kumar (@NitishKumar) September 7, 2020
नीतीश कुमार ने कहा कि हमारी सरकार ने शिक्षकों को ईपीएफ का लाभ दिया, अप्रैल 2021 से 15 फीसदी वेतन बढ़ाएंगे। छात्रों को पढ़ने के लिए स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड की योजना शुरू की। अगर बच्चों के पास पैसा वापस करने की क्षमता नहीं होगी, तो माफ कर देंगे। अब तक एक लाख से ज्यादा छात्रों ने स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड का फायदा लिया। शिक्षा के क्षेत्र में हमारी सरकार ने बहुत काम किया है। लोग कुछ भी बोलते हैं। 5वीं के बाद बच्चियों को स्कूल नहीं भेजा जाता था। 2007 में पोशाक और साईकिल योजना की शुरूआत की थी, तब भी विरोध किया था आज लड़कियां कितने आराम से स्कूल जाती हैं।