सितंबर से इन नियमों के साथ पटरी पर दौड़ेगी “मेट्रो”

देश में कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 मार्च को लॉकडाउन का ऐलान किया था। जिसके बाद से दिल्ली मेट्रो भी बंद है। लेकिन इसे फिर से पटरी पर लाने की कवायत तेज हो गई है। मेट्रो का परिचालन सितंबर से शुरू करने की तैयारी चल रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, अनलॉक चार के पहले पखवाड़े में मेट्रो को शुरू करने की मंजूरी दी जा सकती है। लेकिन यह छूट सशर्त होगी, यानि शुरूआत में सिर्फ सरकारी इमरजेंसी सेवा व कुछ अन्य श्रेणी के यात्रियों को ही यात्रा करने की छूट मिलेगी। जिससे मेट्रो स्टेशनों पर भीड़ इकट्ठा ना हो।
मेट्रो ने अपने परिचालन से जुड़े मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी पहले ही तैयार कर लिया है। जिसमें यात्रियों को यात्रा करने से पहले कई शर्तों का पालन करना होगा। जिसमें यात्री के अंदर कोरोना के किसी भी तरह के लक्षण (सर्दी, जुखाम, बुखार) ना हो, अगर हुआ तो उसे वापस लौटा दिया जाएगा। मोबाइल में आरोग्य सेतू ऐप अनिवार्य होगा। स्मार्ट कार्ड रखने वाले यात्री ही सफर कर पाएंगे, यानि टोकन नहीं मिलेगा। टोकन लेने वाले सभी काउंटर व टिकट वेंडिग मशीन बंद रहेंगे। सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार को मेट्रो चलाने को लेकर जो प्रस्ताव भेजा है उसके मुताबिक मेट्रो परिचालन के शुरूआती एक सप्ताह में सिर्फ सरकारी कर्मचारियों को ही यात्रा करने का मौका दिया जाए। उसके बाद एक सप्ताह बाद उसका समीक्षा की जाएं। अगर सब ठीक चल रहा तो उसे बाकी लोगों के लिए ही शुरू किया जाएं।
कोरोना के चलते मेट्रो परिचालन में प्रवेश व निकास से लेकर यात्रा करने तक के सभी नियमों में बदलाव किया गया है। मेट्रो स्टेशन पर भीड़ ना हो, इसके लिए स्टेशन के सीमित प्रवेश व निकास गेट खोले जाएंगे। जिससे सभी की ठीक से जांच की जा सके। इसके अलावा मेट्रो की सीट में दो यात्रियों के बीच एक सीट खाली रहेगी। एक कोच में अधिकतम 50 लोग सफर कर पाएंगे। सभी को मास्क लगाना अनिवार्य होगा। सोशल डिस्टेंसिंग पालन कराने के लिए मेट्रो ट्रेन पर स्टेशन पहले की तुलना में 30 सेकेंड अधिक समय के लिए रूकेगी। जिससे वहां ट्रेन में चढ़ने व उतरने के लिए पर्याप्त समय मिले। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा सके। कोच में सीमित संख्या में लोग चढ़े उतरे उसका ख्याल रखा जाएगा।
कोविड महमारी के चलते दिल्ली मेट्रो का परिचालन 150 दिन से बंद है। इसके चलते मेट्रो को परिचालन से रोजाना होने वाले 10 करोड़ रूपये का नुकसान हो रहा है। अब तक मेट्रो का अब तक कुल 1500 करोड़ के राजस्व का नुकसान हो चुका है। उसी का नतीजा है कि अब उसके पास जापानी कंपनी से लिए गए लोन चुकाने का भी पैसा नहीं है। मेट्रो ने अगस्त से अपने कर्मियों की सैलरी में मिलने वाले भत्ते भी 50 फीसदी कम कर दिया है।